रविवार, 20 नवंबर 2016

विराम चिन्ह

विराम चिन्ह

विराम का अर्थ है- रुकना अथवा ठहराव। बोलतेपढ़ते,लिखते समय  भावो या विचारों को व्यक्त करने के लिए रुकते हैं, इसे विराम कहते हैं। इस विराम को व्यक्त करने के लिए जिस चिन्ह का प्रयोग करते हैं, उसे विराम  चिन्ह कहते हैं।
डॉ- भोलानाथ तिवारी के शब्दों में- "जो चिन्ह बोलते या पढ़ते समय रुकने का संकेत देते है] उन्हें विराम चिन्ह कहते हैं " । यद्यपि विराम चिन्ह में कई चिन्ह शामिल कर लिए गए हैं , किंतु प्रत्येक चिन्ह रुकने का संकेत नहीं देते।

विराम -चिन्हों के गलत प्रयोग से  कथन का अर्थ बदल जाता है। जैसे-

रोको, मत जाने दो।
रोको मत , जाने दो।

पहले उदाहरण में किसी को रोकने के लिए कहा गयाहै उसे नहीं जाने देने का अर्थ व्यंजित हो रहा है। दूसरे वाक्य में छोड़ दो, मत रोको, जाने देने का अर्थ निकलता है।

हिन्दी भाषा में निम्नांकित विराम चिन्हों का प्रयोग किया जाता है-

1. पूर्ण विराम चिन्ह ( । )

(क) वाक्य के अंत में यह चिन्ह लगाया जाता है।

जैसे- सूर्य पूर्व दिशा से निकलता है

(ख)  अप्रत्यक्ष प्रश्न के अंत में-

जैसे:- आपने बताया नहीं कि आप कहाँ जा रहे हैं

(ग)  शब्द, पद तथा उपशीर्षकों के अंत में इसका प्रयोग वर्जित है।

जैसे:- प्राणी तीन प्रकार के हैं- (क) थलचर(ख) जलचर  (ग) नभचर

2. अपूर्ण विराम या उपविराम (:) (colon)

जहाँ एक वाक्य के समाप्त हो जाने पर भी भाव पूर्ण नहीं होता; आगे की जिज्ञासा बनी रहती है, वहाँ पूर्ण विराम से कम देर ठहरते हुए आगे बढ़ते हैं, जब तक कथन पूरा नहीं हो जाता। उस जगह अपूर्ण विराम का प्रयोग होता है।  अपूर्ण विराम के प्रयोग के कुछ नियम निम्नांकित हैं-

(क) सामान्यत: इसका प्रयोग आने वाली सूची आदि के पूर्व किया जाता है- जैसे:-

जैसे:- महत्वाकांक्षी के तीन शत्रु है : आलस्य, हीनता के भाव एवं पराश्रय ।

(ख) संख्याओं में अनुपात प्रदर्शित करने के लिए

जैसे:- 1:2, 5:9, 11:13 आदि।

(ग) नाटक, एकांकी में उद्धरण चिन्ह के प्रयोग के बिना मात्र उपविराम चिन्ह का प्रयोग- 

जैसे:-

पन्ना :  यह मेरा लाल सोया है।

(घ) स्थान , समय की सूचना के लिए- 

जैसे:-

स्थान :  शहडोल
समय :  प्रातः 11 बजे

(ङ) घंटा, मिनट, सेकण्ड को प्रदर्शित करने के लिए-

जैसे:- 12:45:25 ( बारह बजकर पैंतालीस मिनट और पच्चीस सेकण्ड)

3. अर्ध्द विराम (;) (semicolon)

यह उपविराम और अल्पविराम के मध्य की स्थिति है; अर्थात जहाँ अपूर्ण विराम से कम,  किन्तु अल्पविराम से अधिक ठहराव का संकेत होता है, वहाँ इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। इसके प्रयोग के नियम निम्नांकित हैं-

(क) छोटे-छोटे दो से अधिक वाक्यो की श्रंखला में, जो एक ही वाक्य पर आश्रित हों- 

जैसे:- विद्या से विनय आती है; विनय से पात्रता; पात्रता से धन; धन से धर्म और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है।

(ख) समुच्चय बोधक अव्यय  से बने उपवाक्यों को प्रथक करने के लिए-

 जैसे:- 
1.आपने उसकी निंदा की; अतएव वह आपका दुश्मन ही बनेगा।
2.स्वाभिमान मनुष्य को सहारा देता है; फिर भी कितने हैं, जो इसे अपनाते हैं।

(ग) समानाधिकरण वाक्यों के मध्य में] जैसे:-

सूर्य पृथ्वी से दूर है; वह पृथ्वी से बड़ा है।

(घ) अंको का विवरण देने में- जैसे:-

रियो पैरा ओलम्पिक में भारत को स्वर्ण पदक- 2; रजत पदक- 1; कास्य पदक- 1 मिला ।

4. अल्पविराम (,) (comma)

पढ़ते समय थोड़ी देर रुकने के लिए  प्रयुक्त चिन्ह को अल्पविराम कहा जाता है

इसके विविध प्रयोग निम्नानुसार है-

(क) वाक्य या वाक्यांश में तीन या तीन से अधिक शब्दों को प्रथक करने के लिए- जैसे:-

1.इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर मध्यप्रदेश के बड़े नगर हैं।
2.वह तो अपनी भूमि, सम्पत्ति,प्रतिष्ठाऔर मान- मर्यादा सब कुछ खो बैठा है।

(ख) एक ही प्रकार के कई पदबंधों, उपवाक्यों का प्रयोग जब वाक्य में हो तो उनको अलग करने के लिए - जैसे:-

1.केरल की मोहक झीलें, सुंदर नारियल के बाग और प्राकृतिक दृश्य सबको मोह लेते हैं।
2.वह प्रतिदिन आता है, काम करता है और चला जाता है।

(ग) वाक्य के मध्य में किसी क्षिप्त वाक्यांश या उपवाक्य को अलग दिखाने के लिए- जैसे:-

विज्ञान का पाठ्यक्रम बदल जाने सेमैं समझता हूँ, इस वर्ष हायर सेकेंड्री का परीक्षा परिणाम प्रभावित होगा।

(घ) सकारात्मक एवं नकारात्मक शब्द 'हाँ' और 'नहीं' के बाद - जैसे:-

1.हाँ, मैं अवश्य उत्तीर्ण हो जाऊँगा।
2.नहीं, मैं नहीं आउँगा।

(ङ) बस, सचमुच, अच्छा, वास्तव में, खैर आदि से प्रारंभ होने वाले वाक्यों में इन शब्दों के बाद - जैसे:-

1.बस, जान लिया तुझे।
2.सचमुच, तुम बहुत अच्छे हो।
3.अच्छा, जा सकते हो।
4.वास्तव में, तुम चालक हो।
5.खैर, जाने दो।

(च) उध्दरण के पूर्व- जैसे:-

माँ ने कहा, " तुम मेरे आँखों के तारे हो"

(छ) जो उपवाक्य किन्तु, लेकिन, पर, परन्तु, अतः आदि समुच्चयबोधक अव्यय से प्रारंभ होते हैं, उनमें इस अव्यय के पूर्व अल्पविराम का प्रयोग होता है। जैसे:-

मैं तुम्हारे साथ नहीं खेलूँगा, किंतु तुम्हारा खेल अवश्य देखूँगा।

(ज) भावातिरेक में किसी शब्द/ समूह पर बल देने के लिए- 

जैसे:- भागो, भागो शेर  आ गया।

(झ) शोक की अभिव्यक्ति , विस्मयादि बोधक शब्दों के बाद- 

जैसे:-
1. हाय, मैं मर गया।
2.धिक्कार है, तुमने ऐसा ओछा काम किया। आदि

(ञ) कभी- कभी, तब, वह, तो, कि आदि संयोजक शब्दों के स्थान पर- 

जैसे:- जब मैं स्टेशन पहुँचा, पानी तेज हो गया। ( तब के स्थान पर अल्पविराम का प्रयोग)

(ट) समानाधिकरण शब्द/ पदबंध के  मध्य में इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिए। 

जैसे:- मैं, रामदीन, यह घोषणा करता हूँ कि .....

(ठ) तारीख के साथ माह का नाम लिखने के बाद

जैसे:- 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।

(ड) पत्र के संबोधन में- जैसे:-

महोदय,
प्रिय दिनेश,

(ढ) जब विशेषण उपवाक्य मध्य में हो- जैसे:-

वह रोगी , जिसे कल अस्पताल में भर्ती किया था, आज ठीक है।

(ण) संख्याओं को पृथक करने के लिए- जैसे:-

2, 3, 4, 5

(5) प्रश्न वाचक (?)

(क) प्रश्न का बोध कराने वाले वाक्य के अंत में इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:-

तुम कहाँ जा रहे हो?

(ख) यदि एक वाक्य में कई प्रश्नवाचक उपवाक्य हों तो पूरे वाक्य के समाप्त होने पर अंत में इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।

 जैसे:- मैं क्या करता हूँ, कहाँ- कहाँ जाता हूँकहाँ, क्या खाता हूँ, यह सब जानने के लिए आप क्यों इच्छुक हैं?

(ग) एक साथ कई प्रश्न हो तो& जैसे:-

कहाँकिसे? किस समय? किसने साक्षर किया?

(घ) प्रश्न युक्त मुहावरे के अंत में- जैसे:-

जंगल में मोर नाचा किसने देखा?

(6) विस्मय सूचक या सम्बोधन वाचक (!)

(क) हर्ष, विषाद, घृणाआश्चर्यविस्मय आदि प्रकट करने वाले शब्दों उपवाक्यों अथवा वाक्य के अंत में। जैसे:-

1.कितना सुहावना है यह स्थान!
2.हाय!बेचारा मारा गया।
3.इतनी लंबी दीवार!
4.ईश्वर करे! तुम सफल हो जाओ।
5.चिरंजीवी हो!
6.शाबाश! इसी तरह सफल होते रहो।
7.छिः ! कितनी गन्दी बात है।

(ख) तीव्र मनोविकार व्यक्त करने के लिए।

जैसे:- गधा कहीं का! निपट गंवार!

(ग) प्रश्नवाचक वाक्य के अंत में भी तीव्र मनोवेग प्रदर्शित करने के लिए- जैसे:-

बोलते क्यों नहीं, क्या गूँगे हो!

(घ) सम्बोधन के लिए- जैसे:-
1.राज ! बोलो, क्या कह रहे थे?
2.बोलो राज ! क्या कह रहे थे?
3.बेटा! उठो, सुबह हो गई।

(ङ) स्वीकृति अस्वीकृति प्रकट करने के लिए- जैसे:- अच्छा! पर लंबा चक्कर मत लगाना।

यह हरगिज नहीं हो सकता!

(7) उर्ध्व अल्पविराम (') (apostrophe)

यह अंक लोप का सूचक है। जैसे:-

सन् ' 47 से सन् ' 50 तक ( सन् 1947 से 1950 तक)

(8) निर्देशक चिन्ह(-) (Dash)

इस  चिन्ह का आकार योजक चिन्ह से अधिक लम्बा होता है। इसको रेखिका भी कहते हैं। इसका प्रयोग निम्नानुसार किया जाता है-

(क) किसी व्यक्ति के बात को उद्धृत करने से पूर्व- 

जैसे:-  अध्यापक- भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे?

(ख) कहना, लिखना, बोलना, बताना आदि क्रियाओं के बाद- 

 जैसे:-कमला ने कहा- मैं कल चली जाऊँगी।

(ग) 'निम्नलिखितआदि शब्दों के बाद- 

जैसे:- 
1.बालिकाओं के नाम निम्नलिखित हैं- सीता, भारती, कमला।
2.परिश्रम से सब कुछ प्राप्त हो सकता है- सुख, सम्पत्ति, यश, प्रतिष्ठा।

(घ) किसी अवतरण के बाद और उसके लेखक/ वक्ता से पहले। 

जैसे:- स्वराज हमारा जन्म सिध्द अधिकार है- तिलक

(ङ) क्षिप्त वाक्यों के आगेे और पीछे। 

जैसे:- लिखना-मौलिक रचना करते रहना- मेरा काम है। ( यहाँ दोनों स्थान पर अल्पविराम का विकल्प भी है)